Monday, December 5, 2011

खता....

मेरी क्या गलती है,जो तू मुझे याद करे सदा;
प्यार तेरा,ईमान तेरा,
कैसे कोई परवाना ना बने तेरा?????
बन गया मैं अफसाना मगर दिल तोड़कर जो;
अब ना चाहूँ ये चाहत,ये इज्जत जमानेसे;
तेरी भावनाओकी क़द्र है अगर,तो क्यूँ ना चाहू मैं भी????
बस,यही है मेरी खता........